Monday, May 3, 2010

इतना समय आखिर क्यों ?

मोहम्मद अजमल कसाब एक ऐसा नाम जिसका जिक्र आते ही हर हिन्दुस्तानी के मन मैं बस एक ही सवाल आता है की आखिर कसाब को सजा सुनाने मैं इतनी देर क्यों हुई। 26 नवम्बर 2008 का वो दिन शायद ही कोई भूल पाए। 3 मई को आखिर मुंबई हमले के एकमात्र जीवित आरोपीi अजमल कसाब को कोर्ट ने सभी 12 मामलों में दोषी करार दिया है। जबकि अन्य दो आरोपी फहीम अंसारी और सबाउद्दीन को बरी कर दिया गया है। कसाब पर मुख्य रुप से देश के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप था। लोगों की हत्या करने का मामला दर्ज था। विस्फोटक सामग्री को देश में लाने का मामला था। करकरे, कामटे और सालस्कर की हत्या का दोषी था। मुंबई के तट पर कुल 10 आतंकी उतरे थे।10 आतंकियों में से एक कसाब भी था, बाकी 9 मारे गए थे।मुंबई में घुसे आतंकियों ने अपने आपको विद्यार्थी बताया गया था।सभी 20 से 25 वर्ष के थे। कसाब पर भारत के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने, 166 लोगों की हत्या में शामिल होने समेत 86 आरोप तय किए गए हैं। कसाब और मारे गए उसके नौ सहयोगियों पर लश्करे तैबा के इशारे पर 166 लोगों की हत्या और 304 को घायल करने का आरोप है। इस हमले में 25 विदेशी भी मारे गए थे। पाकिस्तान के नागरिक कसाब के अलावा दो भारतीयों, फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद पर भी हमले की साजिश रचने का आरोप है। भारतीय नागरिकों पर आरोप है कि उन्होंने निशाना बने स्थानों का नक्शा तैयार कर उन्हें लश्करे तैबा को सौंपा था।
और उसे ही गोली से उड़ा दिया कसाब ने-
26/11 हमले में जीटी अस्पताल में सफाईकर्मी ठाकुर ने कसाब को कांपते हाथों से पानी पिलाया। आतंकी ने इसे तपाक से पी लिया। फिर उसने बेरहमी से उस पर गोली चलाई।
कसाब से मामले से जुड़े तथ्य
- पिछले साल अप्रैल में जब मुक़दमे की कारवाई शुरू हुई तो कसाब के ख़िलाफ़ 86 अलग-अलग आरोप लगाये गए, जिनमें भारत के ख़िलाफ़ युद्ध और हत्या के इल्ज़ाम सब से अहम थे.
- मुक़दमे के लिए एक विशेष अदालत का गठन किया गया और मुंबई की आर्थर रोड जेल के अन्दर अदालत बिठाई गई। सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए. इन सब में सरकार ने काफ़ी पैसे ख़र्च किए.
- मुक़दमे के दौरान 600 से अधिक गवाहों को अदालत में पेश किया गया.
मुक़दमे में कई ड्रामाई मोड़ आए। शुरू में ही कसाब ने दावा किया की वो नाबालिग़ है। यह दावा ग़लत पाया गया।
-जुलाई में अभियुक्त कसाब ने अचानक अपना ज़ुर्म क़ुबूल कर लिया और जज से फांसी पर लटका देने को कहा। लेकिन जज ने उसकी दरख़्वास्त रद्द कर दी और मुक़दमा जारी रहने के आदेश दिए.
-कसाब के इस रवैये पर सरकारी वकील उज्जवल निकम ने उसे अभिनेता और नाटकबाज़ जैसे नाम दिए.
- मुकदमे में अगला नाटकीय मोड़ उस समय आया जब कसाब के वकील अब्बास काज़मी को जज ने केस से बाहर कर दिया. जज का कहना था की काज़मी मुक़दमे की कार्रवाई में देरी करके इसे तूल देना चाहते हैं.
-बाद में काज़मी ने बीबीसी से एक बातचीत में दावा किया कि जज ने उन्हें झूठा कहा और सरकारी वकील ने उन्हें आतंकवादी का वकील कहा. उन्होंने यह भी शिकायत की कि अदालत का माहौल उनके ख़िलाफ़ था.
-पाकिस्तान ने आख़िर ये मान लिया कि कसाब उसका ही नागरिक है। पाकिस्तान ने यह भी स्वीकार किया कि मुंबई पर हुए हमलों में कुछ हद तक पाकिस्तानी नागरिक शामिल हो सकते हैं.
काज़मी की जगह उनके जूनियर वकील पवार को कसाब का वकील घोषित किया गया.
- आख़िर मार्च में मुक़दमा ख़त्म हुआ. जज को कसाब के ख़िलाफ़ किसी फ़ैसले पर पहुँचने के लिए एक महीने से अधिक समय मिला है.

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