Monday, May 3, 2010

तो मध्यप्रदेश की जेल मैं बंद हो सकते है पत्रकार

आज कोलम्बो से कबर आई की सामाजिक वैमनस्य भड़काने के आरोप में 20 वर्ष की सजा काट रहे एक तमिल पत्रकार को श्रीलंका के राष्ट्रपति ने क्षमा कर दिया है। विदेश मामलों के मंत्री जी.एल.पेइरेस ने सोमवार को कहा कि तमिल समुदाय के जे एस तिसाइनयागम को पिछले वर्ष आतंकवाद निरोधक कानून के तहत सजा दी गई थी। मामला साफ़ नहीं हो पाया है की उस पत्रकार ने आखिर किया क्या था। वो गुनागार था या नहीं। लेकिन एक बाद साफ़ है कुछ ऐसा ही हाल मध्यप्रदेश के पत्रकारों के साथ भी हो सकता है। वजह है सरकार की तरफ से निकला नया फरमान जिसके तहत यदि कोई पत्रकार किसी नक्सली या देश मैं विद्रोह फेलाने वाले किसी भी व्यक्ति का इंटरव्यू लेते है तो नए कानून के मुताबिक उसे सजा हो सकती है। बात यदि प्रेस की स्वतंत्रा की होती है तो ऐसे मैं ये नया फरमान आखिर क्यों। हेरानी की बात ये है की कोई भी पत्रकार इस मामले को लेकर कोई बहस क्यों नहीं कर रहा है।

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