Wednesday, May 5, 2010
सच को छुपाकर आखिर हासिल क्या होगा....
दिल्ली सरकार की एक मुहिम के तहत सड़कों से भीख मांगने वालों को हटाया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि अक्टूबर में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिए दिल्ली में जो विदेशी मेहमान हमारे देश की राजधानी में आए तो उन्हें एक साफ़, स्वच्छ और चमकते-दमकते शहर के रूप में दिल्ली दिखाई दे । मालूम हो दिल्ली की सड़कों पर क़रीब 60,000 भीख मांगने वाले हैं। इन्हें सडको से हटाने के लिए दिल्ली पुलिस ने 13 ऐसे दल बनाए गए हैं जो भीख मांगने वालों को पकड़कर कोर्ट के सामने पेश कर रहे हैं। इसमें कुछ को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है तो कुछ को सज़ा भी सुनाई जा रही है जिसके तहत उन्हें भिक्षुगृह भेज दिया जाता है। सवाल यह है की आखिर सरकार को आज इन लोगो की याद क्यों आ रही है। वजह सब जानते है लेकिन क्या ऐसा नहीं लगता की इन्हें सडको से हमेश के लिए हटाया जाने को लेकर प्रयास करना चाहिए था या फिर सोचना था? हो सकता है पुलिस के डंडो और किये जाने वाले अभद्र व्यवहार से बचने के चलते भीख मागने वाले सड़क से हट भी जाए लेकिन इस सच को छुपाकर आखिर सरकार को हासिल क्या होगा। शायद सरकार ये भूल गई है की ये वो लोग होते है जिनका कोई ठिकाना नहीं होता, दो वक़्त की रोटी बमुश्किल से नसीब होती है। कहने को हमारे देश में भीख मांगने पर प्रतिबंद है लेकिन आज तक इस को लेकर जब किसी भी प्रदेश की सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो आज दिल्ली सरकार क्यों इस सच्चाई से मुह छुपाना चाहती है। होना ये चाहिए की सरकार को भिखारिओ के पुनर्स्थापना के बारे में सोचना चाहिए।
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